Ashtadhatu Kada अष्टधातु
PURE ASTHADHATU BRACELET KADA अष्टधातु
आठ धातुओं जिसमें सोना, चाँदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा, तथा पारा (रस) से मिलकर बना होता है ।
यह अष्टधातु कड़ा श्री हनुमान जी के बजरंग बाण 108 मंत्र से अभीमन्त्रित किया गया है।
अष्टधातु को अत्यंत पवित्र है इसके धारण करने से तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं।
इसमें कोई भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं होती है।
अष्टधातु के प्रयोग
धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किये जाएं तो
इनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है अन्यथा धातु विपरीत प्रभाव भी देता हैं |
अष्टधातु को अत्यंत पवित्र माना जाता है अष्टधातु को अत्यंत पवित्र और
शुद्ध धातु सम्मिश्रण माना गया है। इसमें कोई भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं होती है।
यदि जन्मकुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो या उसकी महादशा चल रही हो तो बहुत कष्ट देता है।
ऐसी स्थिति में दाहिने हाथ में अष्टधातु का कड़ा धारण करने से राहु की पीड़ा शांत होती है।
अष्टधातु का संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से भी है।
इसे हृदय को बल देने वाला और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने वाला बताया गया है।
PURE ASTHADHATU BRACELET KADA अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा पहनने से मानसिक तनाव दूर होता है
और मन मस्तिष्क में शांति व्याप्त होती है। यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करके अनेक रोगों को दूर भगाता है।
अष्टधातु की कोई वस्तु धारण करने से व्यक्ति का मस्तिष्क उर्वर होता है। उसके निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
अष्टधातु के लाभ और प्रयोग आठो धातुओं का अलग – अलग लाभ और प्रयोग
सही समय पर सही निर्णय लेने से उसकी तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं।
अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है, बिजनेस में प्रॉफिट और तरक्की के लिए अष्टधातु की अंगूठी या लॉकेट धारण करें।
नवग्रह संतुलित होते हैं अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा पहनने से नवग्रह संतुलित होते हैं।
अष्टधातु की गणेशजी की मूर्ति अपने घर के पूजा स्थान में या ईशान कोण में स्थापित करने से घर में सब शुभ होता है।
किसी भी कार्य में रूकावट नहीं आती। विद्यार्थी, शिक्षक और एजुकेशन फील्ड से जुड़े लोग यदि अष्टधातु की सरस्वती माता की मूर्ति की नियमित पूजा करें तो
उनके ज्ञान, बुद्धि में वृद्धि होती है और इस क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।
कई रोगों में अष्टधातु के बर्तन में रखा हुआ पानी पीया जाता है, लेकिन यह प्रयोग किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।चांदी को बहुत पवित्र और सात्विक धातु माना जाता है.
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