श्रावण में अगर प्रतिदिन आप शिवलिङ्ग को दूध से स्नान नहीं करा सकते तो कम से कम निम्न दिनों में शिवलिङ्ग को दूध से स्नान जरूर करायें
1. सोमवार
2. अष्टमी
3. चतुर्दशी
5. पूर्णिमा
इस वर्ष अतिविशेष योग भी बन रहे हैं जैसे सोमाष्टमी, सोमवती अमावस्या, सोमप्रदोष
श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है । भोलेनाथ ने स्वयं कहा है—
द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: ।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:।
यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।
अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।
श्रावण में अगर प्रतिदिन आप शिवलिङ्ग
दृष्टान्तो नैव दृष्टस्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातुःस्पर्शश्चेत्तत्र कलप्यः स नयति यदहो स्वहृतामश्मसारम् ।
न स्पर्शत्वं तथापि श्रितचरगुणयुगे सद्गुरुः स्वीयशिष्येस्वीयं साम्यं विधते भवति निरुपमस्तेवालौकिकोऽपि ॥
तीनों लोक, स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल में ज्ञान देनेवाले #गुरु के लिए कोई उपमा नहीं दिखाई देती । गुरु को पारसमणि के जैसा मानते है, तो वह ठीक नहीं है, कारण पारसमणि केवल लोहे को सोना बनाता है, पर स्वयं जैसा नहि बनाता ! सद्बुरु तो अपने चरणों का आश्रय लेनेवाले शिष्य को अपने जैसा बना देता है; इस लिए गुरुदेव के लिए कोई उपमा नहि है, गुरु तो अलौकिक है ।
श्रावण शनिवार अतिविशेष होते हैं। कष्ट निवारण हेतु वर्षभर इनकी प्रतीक्षा होती है।
#स्कन्दपुराण के अनुसार
“श्रावणे मासि देवानां त्रयानां पूजनं शनौ। नृसिंहस्य शनैश्चव्य अञ्जनीनन्दनस्य च।।”
श्रावण मास में शनिवार के दिन #नृसिंह, #शनि तथा अंजनीपुत्र #हनुमान इन तीनों देवताओं का पूजन करना चाहिए।
बहुत अच्छा लगता है यह देखकर कि अनेक लोग प्रदोष को ३२ दीपक जला रहे हैं।
इसकी शुरुआत हमने वर्ष २०१५ में की थी और किसी न किसी माध्यम से सूचना प्राप्त कर अभी तक हजारों लोग इसको कर रहे हैं।
याद रखें प्रत्येक पाक्षिक प्रदोष को ३२ दीपक शिवलिंग के समक्ष