ॐ नमः शिवाय (IAST: Om Namaḥ Śivāya) सबसे लोकप्रिय हिंदू मंत्रों में से एक है और शैव सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मंत्र है। नमः शिवाय का अर्थ “भगवान शिव को नमस्कार” या “उस मंगलकारी को प्रणाम!” है। इसे शिव पञ्चाक्षर मंत्र या पञ्चाक्षर मंत्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ “पांच-अक्षर” मंत्र (ॐ को छोड़ कर) है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंत्र श्री रुद्रम् चमकम् और रुद्राष्टाध्यायी में “न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य” के रूप में प्रकट हुआ है। श्री रुद्रम् चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद[1] का हिस्सा है और रुद्राष्टाध्यायी, शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है।
यह मंत्र कृष्ण यजुर्वेद के हिस्से श्री रुद्रम् चमकम् में मौजूद है।[2][3]श्री रुद्रम् चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय संहिता की चौथी किताब के दो अध्यायों (टी.एस. 4.5, 4.7) से मिल कर बना है। प्रत्येक अध्याय में ग्यारह स्तोत्र या हिस्से हैं।[4] दोनों अध्यायों का नाम नमकम् (अध्याय पाँच) एवं चमकम् (अध्याय सात) है।[5] ॐ नमः शिवाय मंत्र बिना “ॐ” के नमकम् अध्याय के आठवे स्तोत्र (टी.एस. 4.5.8.1) में ‘नमः शिवाय च शिवतराय च’ (IAST: Namaḥ śivāya ca śivatarāya ca) के रूप में मौजूद है। इसका अर्थ है “शिव को नमस्कार, जो शुभ है और शिवतरा को नमस्कार जिनसे अधिक कोई शुभ नहीं है।
यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी में भी मौजूद है जो शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी के पाँचवे अध्याय (जिसे नमकम् कहते हैं) के इकतालीसवे श्लोक में ‘नमः शिवाय च शिवतराय च’ (IAST: Namaḥ śivāya ca śivatarāya ca) के रूप में मौजूद है।
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